वचन और उसके भेद: दोस्तों जैसा कि आप सभी लोगों को पता ही होगा कि वचन और उसके भेद लगभग सभी तरह के कॉम्पिटेटिव परीक्षा में हिंदी विषय के अंतर्गत पूछा जाता है और ज्यादातर प्रश्न बहुविकल्पीय प्रकार के होते हैं। अगर आप वचन और उसके भेद से पूछे जाने वाले सभी तरह के ऑब्जेक्टिव प्रश्नों को आराम से सॉल्व करना चाहते हैं। इस पेज में दिए गए वचन और उसके भेद का पूरा थ्योरी पढ़ ले। आपको इससे अधिक पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी।
वचन की परिभाषा और उसके भेद
वचन की परिभाषा उदाहरण सहित
हिन्दी भाषा में, शब्द के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की एक या अनेक संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
संस्कृत शास्त्रकारों के अनुसार: “उच्चते संख्याइनेन इति वचनम्” अर्थात् संज्ञा, सर्वनाम आदि की संख्या बताने वाले तत्व को वचन कहते हैं।
वचन के भेद
हिन्दी भाषा में वचन के दो भेद होते हैं:
(क) एकवचन
(ख) बहुवचन
(क) एकवचन
जिस शब्द से एक वस्तु या व्यक्ति का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं।
जैसे: लड़का, घोड़ा, लड़की, कुत्ता, गाय, बैल, आदमी आदि।
(ख) बहुवचन
जिस शब्द से एक से अधिक या अनेक वस्तुओं या व्यक्तियों का बोध हो, उसे बहुवचन कहा जाता है।
जैसे: लड़के, घोड़े, लड़कियाँ, कुत्ते, गाएँ, बैलों, आदमियों आदि।
संज्ञा-वचन संबंधी कुछ प्रचलित नियम
1. अकारान्त स्त्रीलिंग एकवचन संज्ञा-शब्द के अंत में ‘एँ’ लगाने से बहुवचन बनता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन |
शाखा | शाखाएँ |
कथा | कथाएँ |
लता | लताएँ |
2. अकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा का बहुवचन संज्ञा के अंतिम ‘अ’ को ‘एँ’ कर देने से बनता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन |
गाय | गायें |
बात | बातें |
बहन | बहनें |
एकवचन बहुवचन की तालिका
3. इकारान्त या ईकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘ई’ को ह्रस्व इ में बदलकर ‘याँ’ जोड़ने, अर्थात् ‘इ’ ‘इयाँ’ कर देने से बहुवचन बनता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन |
पत्ती | पत्तियाँ |
लड़की | लड़कियाँ |
नदी | नदियाँ |
4. जिन स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘या’ आता है, उनमें ‘या’ के ऊपर चन्द्रबिन्दु लगाकर अर्थात् ‘या’ को ‘याँ’ कर बहुवचन बनता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन |
चिड़िया | चिड़ियाँ |
डिबिया | डिबियाँ |
गुड़िया | गुड़ियाँ |
5. जहाँ दोनों वचनों में पुल्लिंग में एक ही रूप होता है अथवा कुछ अन्य स्त्रीलिंग पदों में भी, बहुवचन का बोध प्रायः ‘गण’, ‘वर्ग’, ‘जन’, ‘लोग’, ‘वृन्द’ इत्यादि लगाकर कराया जाता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन |
पाठक | पाठकगण |
स्त्री | स्त्रीजन |
नारी | नारीवृन्द |
6. अ-आ-इ-ई के अलावा अन्य मात्राओं से अंत होने वाली स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘एँ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है। अंतिम स्वर ‘ऊ’ हुआ, तो उसे ह्रस्व कर दिया जाता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन |
बहू | बहुएँ |
वस्तु | वस्तुएँ |
विभक्तियुक्त संज्ञाओं के बहुवचन बनाने के नियम
1. अकारान्त, आकारान्त (संस्कृत शब्दों को छोड़कर) तथा एकारान्त संज्ञाओं में अंतिम ‘अ’, ‘आ’ या ‘ए’ के स्थान पर बहुवचन बनाने में ‘ओं’ कर दिया जाता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन | विभक्ति चिह्न के साथ प्रयोग |
घर | घरों | घरों का घेरा |
गधा | गधों | गधों की तरह |
घोड़ा | घोड़ों | घोड़ों पर चढ़ो |
चोर | चोरों | चोरों को पकड़ो |
2. सभी इकारान्त और ईकारान्त संज्ञाओं का बहुवचन बनाने के लिए अंत में ‘यों’ जोड़ा जाता है। ‘इकारान्त’ शब्दों में ‘यों’ जोड़ने के पहले ‘ई’ का ‘इ’ कर दिया जाता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन | विभक्ति चिह्न के साथ प्रयोग |
गली | गलियों | गलियों में गए |
नदी | नदियों | नदियों का प्रवाह |
साड़ी | साड़ियों | साड़ियों के दाम दीजिए |
श्रीमती | श्रीमतियों | श्रीमतियों का मिलन हुआ |
3. संस्कृत का आकारान्त तथा संस्कृत-हिन्दी की सभी उकारान्त, ऊकारान्त तथा औकारान्त संज्ञाओं को बहुवचन का रूप देने के लिए अंत में ‘ओं’ जोड़ना पड़ता है। ऊकारान्त शब्दों में ‘ओं’ जोड़ने के पूर्व ‘ऊ’ को ‘उ’ कर दिया जाता है।
जैसे:
एकवचन | बहुवचन | विभक्ति चिह्न के साथ प्रयोग |
लता | लताओं | लताओं को देखो |
साधु | साधुओं | यह साधुओं का समाज है |
वधू | वधुओं | वधुओं से पूछो |
जौ | जौओं | जौओं को काटो |
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